संदेश
बुधिया काका
- लिंक पाएं
- ईमेल
- दूसरे ऐप
घर के भीतर चल रहे समाचार और समाचार में जो बताया जा रहा था बुधिया काका साफ-साफ सुन भी रहे थे और समझ भी। खिन्न थे वो आज की नीति से और राजनीति से भी। जिन्हें महान और मार्ग दर्शक मानते आए उन्हें गालियाँ दी जाती हैं बुधिया और उन जैसे और भी जिन बातों को बुराइयों में तौलते थे। उन बातों पर पुरजोर समर्थन मिल रहा है। देश को क्षेत्र और जाति में बंटता देख दुखी थे बुधिया काका उन्होंने देखा है वो जलजला बंटवारे का और उसके बाद का भी इसलिए कांप जाती है उनकी रुह लरजनें लगती है उनकी ज़बान कभी कोसते हैं इन छुट-पुट नेताओं को तो कभी अपने आपको कि ये देखने के लिए जिंदा क्यों हैं। HTML marquee Tag अमरेश गौतम -9429409805 रीवा,मध्यप्रदेश
उम्रभर
- लिंक पाएं
- ईमेल
- दूसरे ऐप
उनकी सादगी की मशाल,जलती रहेगी उम्रभर, खुशी बस इतनी मुझे रोशन रखेगी उम्रभर। वो इतना निष्ठुर नहीं था,फिर क्या बात हुई, उनके इसी सोच की,सोच रहेगी उम्रभर। छोटी सी भूल की इतनी बड़ी सजा है क्या, कि इक जिन्दगी इक जिन्दगी से जुदा रहेगी उम्रभर। अब तलक जो हमसफर थे हरहाल में हर घड़ी, आज से अब हर कहानी जुदा रहेगी उम्रभर। अब तलक जिस बाग की आबो-हवा गुलजार थी, आज से न अब कभी रौनक रहेगी उम्रभर। कितने खुश्नुमा पल खो गये वक्त के आगोश में, बीती हुई यादें सताती रहेंगी उम्रभर। अब रोयें भी तो किसके पहलू में जाकर'अयुज', बे आसरा ये बेबसी रोती रहेगी उम्रभर। अमरेश
चिंतन
- लिंक पाएं
- ईमेल
- दूसरे ऐप
देशहित में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए, मामला व्यक्तिगत हो राजनैतिक हो या आपसी रंजिश का आज हर बात पर हर मुद्दे पर भिन्न-भिन्न प्रतिक्रियाएं एक दूसरे को नीचा दिखाने और राजनीतिक लाभ के होड़ ने, देश की अस्मिता पर काला दाग लगा दिया है। एक ही विषय पर पार्टी, संगठन और समूहों का बँट जाना और लड़ना कहां तक जायज और देशहित में है, बिखराव और पतन की ओर अग्रसर होना है।